Intervals Se Pahle Ladkiyon Ki Thigh Par Blue Spots Kyu Hote Hain | What Is Premenstrual Dysphoric Dysfunction And Its Signs |Bruising On The Legs Trigger | Sharir Par Neel Ke Nishan Kyon Padte Hain

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अक्सर ऐसा होता है कि जब आप किसी चीज से टकरा जाते हैं और स्किन कट कर खून नहीं निकलता है, तो कुछ सयम के बाद वहां पर नील का निशान बन जाता है. जिसमें दर्द नहीं होता. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ब्लीडिंग न होने के चलते वहां अंदर ही खून जम जाता है, जो नील के निशान की तरह दिखता है. असल में शरीर पर दिखने वाले ये नील के निशान खून के थक्के होते हैं, जो कि खून जमने की वजह से नजर आते हैं. इन्हें अंग्रेजी में भाषा में इसे ब्रूसिंग (bruises) कहा जाता हे. लेकिन कई ऐसा भी देखा गया है कि बिना किसी चोट के शरीर पर कई जगह नील का निशान नजर आता है. कई लड़कियों में पीरियड्स से ठीक पहले इस तरह के निशान जांघों पर दिखते हैं. दरअसल, इनके पीछे एक वजह है, जो शरीर में हो रहे एक विकार के चलते है. तो चलिए बिना देर करे जानते हैं पीरियड्स से पहले पड़ने वाले नील निशान के पीछे के कारण (causes of bruises in your physique) क्या होते हैं.

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Premenstrual Dysphoric Dysfunction: कोई चोट लगती है तो उसके बाद चोट वाले हिस्से में या तो जख्म दिखाई देता है या नील पड़ा दिखाई देता है. कभी कभी कुछ लड़कियों, युवतियों या महिलाओं को बिना चोट लगे ही अपनी थाइज पर नील पड़ा (Neel Padna) दिखाई दे सकता है. ऐसा कुछ नजर आता है तो उस नील को इग्नोर करने की जगह गंभीरता से लें, क्योंकि वो Premenstrual dysphoric dysfunction हो सकता है. जो प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (premenstrual syndrome) का ही एक प्रकार है.

पीरियड से पहले जांघों पर क्यों दिखने लगते हैं नीले निशान? जानें क्या होता है | Premenstrual Dysphoric Dysfunction?

न्यूट्रिशनिस्ट नूपुर पाटिल ने इसके बारे में इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर किया है और, इसे प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम का गंभीर प्रकार बताया है. नूपुर पाटिल के मुताबिक ये किसी को भी हो सकता है. लेकिन लाइफस्टाइल और डाइट में थोड़े से बदलाव से इसे ठीक किया जा सकता है.

Premenstrual dysphoric dysfunction के लक्षण | signs of PMDD

इसके लक्षण पीरियड शुरू होने के एक हफ्ते पहले से नज़र आने लगते हैं और पीरियड शुरू होने के बाद ठीक हो सकते हैं. लेकिन तब तक ये लक्षण रोजाना के कामों को बुरी  तरह प्रभावित करते हैं. जो इतनी मुश्किल बढ़ा सकते हैं कि घर से लेकर ऑफिस के काम करना तो मुश्किल होता ही है. इनका असर रिलेशनशिप पर भी पड़ने लगता है.

  • उदास, निराश और डिप्रेस फील करना.
  • एंजाइटी, टेंशन बढ़ना, खुद को हमेशा अकेला महसूस करना
  • खुद के बारे में बुरे ख्याल आना साथ ही रिजेक्शन का डर सताना
  • अचानक रोना आना
  • परिवार, सहकर्मियों से मतभेद बढ़ जाना
  • रोज के कामों में दिलचस्पी घटना
  • थकान और कमजोरी महसूस करना
  • भूख में बदलाव आना, एक साथ बहुत सारा खा लेना या फिर किसी चीज के लिए जबरदस्त क्रेविंग होना.
  • सोने के पेटर्न में बदलाव आना या तो बहुत ज्यादा सोना या सोने में मुश्किल होना
  • कुछ फिजिकल लक्षण दिखाई देना जैसे ब्रेस्ट में स्वेलिंग या टेंडरनेस, सिरदर्द, जोड़ और मांसपेशियों में दर्द, वजन बढ़ना या फूलना

राहत के लिए क्या करें? (These life-style adjustments might help)

  • बैलेंस और हेल्दी डाइट लें.
  • सिगरेट और शराब की आदत छोड़ दें.
  • किसी मनपसंद काम में मन लगाएं.
  • पसंदीदा म्यूजिक सुने, कुछ मजेदार देखें.
  • अपने करीबियों और दोस्तों से लंबी, अच्छी बातचीत करें.
  • लाइट वर्कआउट करें या योगा करें या थोड़ा वॉक करें.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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