Pakistan Election Fee Rejects Imran Khans Partys Organizational Election, Election Image – पाकिस्तान निर्वाचन आयोग ने इमरान खान की पार्टी के संगठनात्मक चुनाव, चुनाव चिह्न को खारिज किया

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इमरान खान के करीबी सहयोगी गौहर खान ने पीटीआई के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के कुछ ही दिन अपना यह पद खो दिया.

इस्लामाबाद:

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी को बड़ा झटका देते हुए देश के चुनाव आयोग ने ‘पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ’ (पीटीआई) के संगठनात्मक चुनावों और आठ फरवरी के आम चुनावों के लिए क्रिकेट के बल्ले को उसके चुनाव चिह्न के रूप में रखने की उसकी याचिका को खारिज कर दिया. पाकिस्तान निर्वाचन आयोग (ईसीपी) के पांच सदस्यीय पैनल ने पेशावर में दो दिसंबर को हुए पार्टी चुनावों के खिलाफ पीटीआई के सदस्यों द्वारा दायर कई याचिकाओं की सुनवाई पूरी करने के बाद सोमवार को फैसला सुरक्षित रख लिया था.

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पैनल ने शुक्रवार को फैसला जारी करते हुए कहा कि पीटीआई अपनी पार्टी के संविधान के अनुसार चुनाव कराने में विफल रही. उसने यह भी फैसला सुनाया कि बल्ला पार्टी का चुनावी चिह्न बना नहीं रह सकता. इस निर्णय के बाद जेल में बंद इमरान खान (71) के करीबी सहयोगी गौहर खान ने पीटीआई के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के कुछ ही दिन अपना यह पद खो दिया. खान एक पूर्व प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर होने के नाते क्रिकेट के बल्ले का पर्याय माने जाते हैं.

ईसीपी के फैसले के बाद पीटीआई या तो इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दे सकती है या फिर अपने उम्मीदवारों को निर्दलीय के तौर पर चुनाव में उतार सकती है।.यह किसी अन्य पार्टी के साथ गठबंधन भी कर सकता है ताकि उसके उम्मीदवार चुनावों में उस पार्टी के चिह्न का उपयोग कर सकें.

उधर, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को राहत प्रदान करते हुए पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने सरकारी गोपनीय दस्तावेज लीक मामले में शुक्रवार को उनके और उनके करीबी शाह महमूद कुरैशी को जमानत दे दी. डॉन अखबार की खबर के अनुसार शीर्ष अदालत ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के इन नेताओं को 10-10 लाख रुपये का मुचलका बांड भी भरने का निर्देश दिया.

न्यायमूर्ति सरदार तारिक मसूद की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की एक पीठ ने पीटीआई की याचिकाओं पर यह आदेश जारी किया. न्यायमूर्ति अतहर मिनाल्लाह और न्यायमूर्ति सैयद मंसूर अली शाह पीठ में अन्य दो न्यायाधीश हैं. यह मामला इस आरोप पर आधारित है कि पिछले साल मार्च में पाकिस्तान दूतावास द्वारा भेजे गये राजनयिक दस्तावेज को खान (71) और कुरैशी (67) ने उचित ढंग से नहीं संभाला और उन्होंने देश की गोपनीयता कानूनों का उल्लंघन किया. हालांकि खान जेल में ही रहेंगे क्योंकि उन्हें तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में दोषी करार दिया गया है.

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